श्श्श्श...कोई है । Creepy hindi horror story। horror story

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श्श्श्श...कोई है । Creepy hindi horror story।  horror story |

                  श्श्श्श...कोई है 

सन् 2010 , शहर नोएडा की यह एक सच्ची आधारित घटना जो मेरे दोस्त के साथ घटित हुई , एक रात जब मेरा दोस्त आ रहा था तो उसने पड़ोस वाली छत पे कोई व्यक्ति खड़ा देखा उसने अपने दोस्त से पूछा कितने लोग आए है ? मगर जब उसने कहा कोई नहीं तो उसे कुछ समझ नही आया अगले दिन उसने फिर से देखा मगर इस बार उस व्यक्ति ने एक अजीब सी मुस्कुराहट से जो देखा की उसके साथ एक डरावनी घटना हुई पढ़े यह पूरी कहानी hindi horror story और जानिए इस रीयल हॉरर स्टोरी का रहस्य...श्श्श्श...कोई है की डरवानी कहानी।
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सन् 2010 , शहर नोएडा
नोएडा में दूर दूर से लोग आते है यहां काम करने कोई बिहार से तो कोई झारखंड ,उत्तराखंड और भी कई जगह से आते है मेरा दोस्त बिहार से आया था ।
 
मेरा दोस्त का नाम गुलशन है यहां वह एक रूम पार्टनर के साथ रहता था जिसका नाम रजत है ।


मेरा दोस्त एक रात थक हार के काम कर के आ रहा था तभी उसके पास एक आधी जली टिकट गिरती है उसने उसे उठाया थोड़ा ध्यान से देखने पर पता चला वह एक लॉटरी ( lottery ) की टिकट है जो एक तरफ से जला था ,

उसने आस पास देखा कोई नही था , उसने उससे अपने जेब में रख लिया और आगे बढ़ा
जब वह उस मकान में पहुंचा जहां वह किराएदार था तो उसने देखा अपने पड़ोस वाली छत पे कोई व्यक्ति खड़ा है ,

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उसने इतना ज्यादा नही सोचा और अपने रूम पार्टनर से पूछा कितने लोग आए है हमारे पड़ोस में ?


रजत : कितने लोग ? मगर कहां ?
गुलशन : पड़ोस में
रजत : कोई नही आया है खाना बना जल्दी
गुलशन : पर मेने देखा था यार , अंदर ही अंदर कहता शायद ये मेरा भ्रम हो

गुलशन ने वह लॉटरी टिकट की बात रजत को नहीं बताई ,

दोनों खाना बना के खा पी के सो जाते है ,


अगले दिन, रजत अपने काम पर निकल जाता है ,
गुलशन आज छुट्टी कर लेता है , उसकी सेहत थोड़ी खराब थी मगर फिर भी वह सोचता है जो गंदे कपड़े है उन्हे धो लिया जाए ,


जब वह पजामा में देखता है कुछ है तो नही उसे कुछ नही मिलता


वह लॉटरी की टिकट ढूंढने लगता है और सोच में पड़ जाता है पता नहीं कहा खो गया ,
 
अब जब गुलशन कपड़े सुखाने छत पे जाता है तो फिर वही व्यक्ति को देखता है जिसको उसने पिछली रात को देखा था


वह उन से बात करता है और कहता है मुझे पता था मेरी आंखे धोका खा ही नहीं सकती ,
कितने दिन से रह रहे हो आप बताओ ?
किया नाम है आपका बताओ ?
मगर उधर से कोई जवाब नही आ रहा था ,
वह बस देख के अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था । जो एक अलग बात ही थी ,

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गुलशन ( मन ही मन में ) : बहुत घमंडी लग रहा है छोड़ों मुझे भी बात नहीं करनी ,

अब रात को खाना खाते समय गुलशन , रजत से कहता है मेंने कहा था ना पड़ोस में कोई आया है आज में जब छत पे कपड़े सुखाने के लिए डालने गया तो मेने उसे फिर देखा ,

रजत : किया बात कर रहे हो तुम , में उसी तरफ से आता हूं मेंने देखा गेट पे बड़ा ताला लगा था और उस पे बहुत ज्यादा धूल जमीं थी ,

यह बता कहीं तू पागल तो नहीं हो गया ?
गुलशन : तू पागल है में नही

दोनों लड़ते है थोड़ा और सो जाते है


अब अगले दिन गुलशन भी देखता है बड़ा ताला लगा था पड़ोस वाली गेट पे तो कैसे कोई अंदर जा सकता है ,

अब रात में गुलशन आता है वह फिर उसी व्यक्ति को खड़ा हुआ देखता है और इस बार कुछ अलग हुआ था
वह व्यक्ति गुलशन को देख कर मुस्कुराता है , 

और वही लॉटरी की टिकट वापस उसके पैर के पास नीचे गिरती है ,
गुलशन तुरंत भागता है वहां से रूम का गेट बंद कर के रजाई में घुस जाता है ।

अब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह किया करे ,
कुछ समय बाद ,
रजत आता है ।


गुलशन कहता है रजत से भाई बाहर जा और पड़ोस वाली छत पे देख कोई है किया ?

रजत : मगर क्यों?
गुलशन : जा तो सही
रजत जाता है मगर उससे पहले कुछ नही दिखता मगर जब वह पड़ोस वाली छत पे देखता है तो ...
एक व्यक्ति खड़ा था जो एक अजीब तरह से मुस्कुरा राहत था , रजत उल्टे पैर कुछ करने के वजह वह भी सीधा रूम में आ गया और थरथराने लगा हो उसके मुंह से कुछ शब्द ही नहीं निकल रहे थे ,

गुलशन : अबे कुछ तो बोल किया हुआ?
रजत : बस चुप हो जा
 
हम दोनो कल ही यहां से दूसरी जगह कमरा ले लेंगे
वह दोनो मकान मालिक के पास जाते है अगली सुबह और कहते हम खाली करना चाहते है तो जो हमने आपको एडवांस्ड ( advanced) में पैसे दिए वह आप हमे दे दो
 
मकान मालिक : वह तो नहीं मिलेगा जब तक किराया दिया तब तक रहो या चले जाओ में कुछ नहीं कर सकता ।


गुलशन और रजत और कुछ नही कर सकते थे क्योंकि उनके पास इतने पैसे नही थे की दूसरी जगह कमरा ले सके और नोएडा जैसे शहरों में मुस्किल से ही कमरे मिलते थे और जो मिलते थे महंगे ही होते थे ,
 
अब।
 गुलशन और रजत के पास कोई और रास्ता नहीं होता वह बिना आस पास देख बैगर अपने कमरे में चले जाते है ,


मगर गुलशन थोड़ी हिम्मत करता है और फिर बाहर जाता है और पड़ोस वाले छत पे देखता है उसे कुछ नही दिखता वह यह फैसला करता है कुछ तो है यहां ,


जो मुझे परेशान कर रही है में पता लगाऊंगा ।


अब अगले दिन से गुलशन अपने पड़ोस वाले मकान के बारे में जानकारी इक्केठा करता है आस - पास से लगभग सभी लोग नए ही थे इसीलिए किसी को ज्यादा कुछ पता नही था बस इतना की यहां एक पांच लोगों का परिवार रहता था ।

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गुलशन एक और व्यक्ति के पास जाता है जिसका घर यहां बहुत पुराना था ,वहां एक बुजुर्ग अपने परिवार के साथ रहता था ,
वह उन से पूछता है चाचा आप मकान नंबर 441 के बारे में कुछ आप जानते है किया ?

चाचा : पहले तो यह बताओ तुम कोन हो ?
गुलशन : चाचा में मकान नंबर 435 में किरायदार हू मुझे मेरे पड़ोस के मकान के छत पे एक व्यक्ति दिखता है वह अलग अलग तरीके से अजीब तरह देख के मुस्कुराता है , में और मेरा दोस्त रजत बहुत परेशान है कृपया कुछ सहायता करे ,


चाचा : सुनो मकान 441 में कुल पांच लोग रहते थे , उन पांच में से एक नौकर रहता था बाकी चार लोग उसके मालिक थे वे नौकर का एक पैर से लंगड़ा था तो बहुत कम रुपए उससे मिलते थे वे चार लोग दो भाई और उनकी बीवियां थी वह उस नौकर के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे , 

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उसे ज्यादा काम करते और पैसे बहुत कम देते थे , वह नौकर जिसका नाम सतेंद्र था उसने वहां से छोड़ के कहीं और काम करने का फैसला किया मेने उसे काम दिलाने में मदद की थी ,
 
कुछ समय बाद उस नौकर ने वहां से नौकरी छोड़ दी
उस मकान के लोगों ने बहुत बुरा सुनाया उसे
दोनों भाई कहने लगे अबे जा अपाहीच देखता हु कोन नौकरी देता है तुझे और चोर है यह सब कह के भागा दिया गया और उसकी बची तनख्वा भी नही दी ,


अगले दिन उस नौकर ने एक 100 रूपये की एक लॉटरी ( lottery) की टिकट खरीदी और इत्तेफाक से उसकी लॉटरी लग गई थी जिसका इनाम 25 लाख था ऐसा मानो की उसकी जिंदगी सवार गई हो उसके कुछ दिन बाद ही उसका कुछ पता नहीं चला ,


गुलशन : किया , किया आप के पास उस नौकर को फोटो है ?
चाचा : शायद हा क्योंकि वह नौकर हमारे यहां भी पहले काम करता था मेरे पिता को और मुझे अच्छे से जानते थे मगर हमने उन्हें निकाल दिया था क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नही थे मेरे पिता व्यापार में नुकसान हुआ था ,


चाचा उसे फोटो देते है गुलशन वह फोटो देखते ही बेहेसोश हो जाता है ,
उसका रूम पार्टनर रजत उससे दूंढते हुए आता है और अपने कमरे पे ले जाता है ,
रजत किया हो गया भाई ?
उठ
 
गुलशन कुछ समय पश्चात् उठता है और कहता है मुझे तो कुछ नही हुआ ।

रजत : तो उन चाचा के घर वहां बेहोश क्यों हो गया और वहां तू गया ही क्यों था पता नही कैसे लोग है


गुलशन में ठीक हु चिंता मत कर चल खाना बनाते है और खा पी के सो जाते है ।

गुलशन बस फैसला करता है अब वह उस मकान के अंदर जायेगा और वह अपने छत के रास्ते से पड़ोस के छत पे छलांग लगाता है और मकान के अंदर घुस जाता है उससे फिर से वही नौकर दिखता है ,
गुलशन : मुझे पता है आप अच्छे हो आप मुझे कुछ नही करोगे 
वह नौकर की आत्मा एक डरावनी मुस्कुराहट ले कर गुलशन की तरफ लंगराते हुए बढ़ रही थी ,

गुलशन : नही, बस अब नहीं
में जनता हु आप अच्छे व्यक्ति है
वह नौकर और पास पहुंचता है और उसका गला पकड़ के दबाने लगता है ,


रजत इस तरफ कुछ समझ नही रहा था की यह किया हो रहा है गुलशन कहां चला गया
वह नौकर बस गुलशन का गला दबा के मार ही रहा था तभी गुलशन अपनी जेब से वह लॉटरी की टिकट निकलता है और उससे दे देता है,

वह नौकर की आत्मा फिर भी उसे मरना चाहती थी
मगर गुलशन कहता है,

देखिए मुझे आपके बारे में पता है में आपकी सहायता करूंगा कृपया मुझे बताए
मेने सुना आपकी लॉटरी लगी और उसके बाद ही आप कहीं गायब हो गए
सतेंद्र : रोने लगा
यह लॉटरी का टिकट नहीं है मेरी मौत का टिकट है
में खुश था मेरी लॉटरी लग गई मगर उसी शाम मुझे मेरे मालिक ने बुलाया जिस मकान में काम करता था मकान नंबर 441
में देख रहा था जो मुझे पहले इतना परेशान करते थे अब वह मुझ से अच्छे से बात कर रहे थे ,

 
कुछ देर बाद उन्होंने मुझ से कहां तुम्हारी लॉटरी लग गई है हमने सुना , सतेंद्र ने कहा हां , तो वह टिकट तुम हमे दे दो हम ज्यादा अच्छे से उसे इसेतमाल कर सकते है ।

सतेंद्र : तभी में सोचूं आज कैसे महान बन रहे हो आप लोग 

उन भाइयों ने धमकी दी अगर वह तूने हमे नहीं दिया तो अंजाम बुरा होगा

 
सतेंद्र : देखते है , किया होता है 
उन दोनो भाई में से एक भाई ने मुझे पकड़ लिया और दूसरे भाई ने मेरी जेब से वह टिकट ले लिया और साथ में उनकी बीवियां भी जो चाकू ले कर मेरे  हाथ- पैर पर मरने लगी मुझे उन्होंने मार दिया और बरामदे में दफन कर दिया ,


कुछ समय बाद मेरी आंखे खुली जब मेने देखा तो मेरी आत्मा ने मेरा शरीर छोड़ दिया था , पता नही क्यों मगर मेरी आत्मा यहीं थी मैने उन दोनो भाइयों को जला के मार दिया और उनकी बीवियों को भी ,

उसके बाद यह लॉटरी का टिकट और में यहां रह गए बस ,

गुलशन : शायद आप का शरीर अभी भी इसी बरामदे में ही है इसीलिए श्याद आपकी आत्मा यही है ,
 
गुलशन बरामदे में जाता है और खुदाई शुरू करता है मगर वह काफी कठोर थी ,

 
गुलशन , रजत के पास जाता है सहायता के लिए और वह दोनो ही उपर की छत से छलांग लगाते है और दोनो बरामदे में जाते है और खुदाई करने लगता है रजत कई सवाल पूछता है मगर , वह कुछ नहीं बताता और बस खुदाई करता है ,
 
कुछ समय बाद उन्हें एक कंकाल मिलता है
रजत भाग जाता है वहां से वह बहुत ज्यादा डर जाता है ।


अब गुलशन अकेले ही उस कंकाल को अंतिम संस्कार कर देता है ,
और वह सतेंद्र की आत्मा फिर कहीं नहीं दिखती ।

रजत तो इतना डरपोक है की वो बस जाने वाला ही था अपना बोरिया बिस्तर समेत मगर गुलशन सब कुछ उससे बताता है ,
 
लॉटरी और सतेंद्र की रियल हॉरर स्टोरी और कहानी के अंत में वह यह भी बताता है की एक घड़ी जो उसे मिली है कंकाल से उसके बारे में वह बताता है वह घड़ी काफी कीमती थी और उससे लेने से पहले उसने सतेंद्र नौकर से भी पूछ लिया था ।


मगर कुछ समय बाद वह घड़ी अचानक गायब हो जाती है जो की एक रहस्य ही रह गया ।
निष्कर्ष : 
में आशा करता हु की आपको यह हिंदी हॉरर स्टोरी " श्श्श्..कोई है " की शीर्षक वाली कहानी अच्छी लगी हो और भी " hindi horror story " पढ़े हमारी वेबसाइट पे बिलकुल फ्री । और भी " रियल हॉरर स्टोरी " पढ़ने के लिए बने रहे हमारे ब्लॉग पे ।

धन्यवाद !



















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